सुस्वागतम् हिन्दी तुम्हारा,अपने ही घर में स्वीकारो,
‘हिन्दी दिन’ पर अपने ही घर में, अपना ही सत्कार करो।
दुनिया भर में जो भाषाएं, सर्वाधिक बोली जातीं हैं,
उन तीनों में तुम शामिल हो, फिर भी तुम्हें लाज आती है?
कुछ ही सपूत जानते कारण,क्यों कर आज तुम्हारा दिन है,
बाकी सभी भेड़चाल में हैं चिल्लाते – हिंदी दिन है, हिंदी दिन है।
उन्निस सौ उंचालिस में जब चौदह सितंबर आया था,
संविधान रचयिताओं ने,’तब उसे ‘हिंदी दिन’ बतलाया था।
राजभाषा भी चुना गया था,ऐ प्यारी हिन्दी तुमको उस दिन,
पर तेरी ईर्षालू बहनों ने ही, बदला लिया बड़ा गिन गिन।
बस बांटो और राज करो,जिस अंग्रेजी ने सिखलाया था,
देसी अंग्रेजों ने फिर अपनी भाषा को,तेरे समकक्ष बिठाया था।
तुलसी, केशव, पंत, निराला भी नि:संशय कलपे होंगे,
‘हिन्दी’ को घर में ही ‘दिवस’ चाहिये,यह सुनकर तड़पें होंगे।
अपने घर में स्वयं पाहुनी,जाओ तुम आनन्द करो,
आओ ‘हिन्दी दिवस’ मनाओ,फिर अंग्रेजी में टॉक करो!!
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